लैला के लिए, और थोडी सी तारिक के लिए भी , या शायद बहुत सारी, नहीं, सारी कि सारी नहीं ....
मुझको तुमसे बांधे ये जो इक ज़ंजीर है
धरती से अम्बर को जाते सपनो की तक़रीर है
लिखी गई न मालिक से तो
ख़ुद खींची हांथों पर मैंने ऐसी भी कोई लकीर है
मुझको तुमसे बांधे ये जो इक ज़ंजीर है
धरती से अम्बर को जाते सपनो की तक़रीर है
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